Saturday, October 26, 2019


Agra among ten most polluted cities in the world
More than Delhi Taj city needs electric vehicles urgently: experts

आगरा। ताज और ताजनगरी को सुरक्षित रखने के लिए यहां पैट्रोल व डीजल की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता को खत्म करना होगा। दुनिया के दस सबसे प्रदूषित देशों में शुमार ताज नगरी में दिल्ली से पहले इलेक्ट्रेकिल व्हीकल की अनिवार्यता पर कानून बनना चाहिए। पैट्रोल व डीजल के बाद सीएनजी को बाईपास करते हुए अब आवश्यकता सीधे इलेक्ट्रिकल वाहन की है। सरकार इस पर अनुदान भी दे रही है। यह कहना था बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व इनडिपेंडेंट एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेवानिवृत चेयरमैन नरेन्द्र तनेजा का। होटल क्लार्क-शीराज में सेंट जॉन्स कॉलेज द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला रीसेन्ट एडवान्स इन एनवॉयरमेंट प्रोटेक्शन (आरएईपी-2018) में अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि जूता व पेठा उद्योग के कारण प्रदूषण स्थानीय समस्या है। इसलिए माधान भी स्थानीय स्तर पर ढूंढने होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण के मामले में हर शहर की अपनी अलग समस्या है। इसलिए समाधान के लिए भी अलग-अलग नीति होनी चाहिए। पेठा व जूता उद्योगपति प्रदूषण कम करने में विवि के रसायन विज्ञान विभागों की मदद लें। यही सेतु शहर को खूबसूरती प्रदान करेगा। उन्होंना ताज के नजदीक मथुरा रिफायनरी का बनना सबसे खराब निर्णय बताया।   
विकसित देशों द्वारा किए प्रदूषण का खामियाजा भुगत रही है दुनिया
आगरा। सेवानिवृत् केबिनेट सचिव डॉ. अजीत कुमार सेठ ने बताया कि 1750 से विकसित देशों द्वारा किए जा रहे प्रदूषण खामियाजा आज पूरी दुनिया भुगत रही है। हजारों वर्षों तक कुछ ग्रीन गैस पर्यावरण में घुली रहती है। विकसित देशों में जो विकास हुआ, उससे पैदा प्रदूषण आज भी पर्यावरण में मौजूद है। समुन्द्र में प्लास्टिक के आयरलैंड बन रहे हैं। पिछले 50 वर्षों से विकासशील देश भी इसमें शामिल हो गए हैं। लेकिन दुनिया में प्रदूषण बढ़ने का ठीकरा विकासशील देशों पर ही फोड़ा जाता है। 60 लाख वर्ष में जितनी कार्बन पर्यावरण में नहीं घुली वह पिछले कुछ दशकों में हुई है। कार्बन पैदा करने वाले ईंधन पर निर्भरता को खत्म कर हमें वैकल्पिक उर्जा को अपनाना होगा।   

भारतीय जीवन दर्शन से ही हो सकता है प्रकृति का संरक्षण
आगरा। दुनिया में सिर्फ भारतीय जीवन दर्शन है जो प्रकृति का संरक्षण कर सकता है। यूरोपीयन देश तो प्रकृति पर विजय पाना चाहते हैं और प्रकृति को पूजते हैं। भारत में रोयलटी पाने या पेटेंट कराने के लिए नहीं बल्कि मानवता के लिए शोध किए गए। यह कहना था अम्बेडकर विवि के कुलपति डॉ. अरविन्द दीक्षित का। वह सेंट जॉन्स कॉलेज द्वारा होटल क्लार्क शीराज में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला रीसेन्ट एडवान्स इन एनवायरमेंट प्रोटेक्शन में मुख्य अतिति के रूप में बोल रहे थे।
कार्यशाला का शुभारम्भ दीप जलाकर किया गया। डॉ. जेएस शर्मा ने भी व्याख्यान दिया। विशिष्ट अतिथि आगरा डायसिस के बिशप डॉ. पीपी हाबिल ने कहा कि देश व दुनिया को प्रदूषण मुक्त रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। सेंट जॉन्स कालेज के प्राचार्य पीई जोसफफ ने अतिथियों का परिचय व रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष व कांफ्रेंस के समन्वयक डॉ. आरपी सिंह ने स्वागत किया। डॉ. अजीत कुमार सेठ, डॉ. एके बालयान, नरेन्द्र तनेजा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से शॉव उढ़ाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्माननित किया गया। इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन भी किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कांफ्रेंस के चेयरपर्सन डॉ. हेमन्त कुलश्रेष्ठ व संचालन डॉ. सुजन वर्गीज ने किया।


No comments:

Post a Comment